Wednesday, 14 November 2018

मोहब्बत का सफर

जब असली ज़िन्दगी में फिल्मो सा वाक्या हो जाये तो जिंदगी फिल्मो जैसी लगने लगती है,और फिल्म के अभिनेता की तरह ही किरदार निभाने में लग जाते हैं,लेकिन ये भ्रम तब टूट जाता है,जब असल जिंदगी में सब कुछ फिल्मो की तरह अच्छा नहीं होता है,ना ही रिटेक करने का मौका मिलता है, कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ,जब मैं दिल्ली में एक कॉल सेंटर में काम करता था, मैं अपने एक छोटे से गांव से दिल्ली गया था और मेरा पहला जॉब कॉल सेंटर में लगा था,मैं बहुत खुश था और थोड़ा सा घबराया हुआ भी क्योंकि ये मेरा ज़िन्दगी का पहला जॉब था और ना ही मुझे कॉल सेंटर का अनुभव था।
आज मेरा जॉब का पहला दिन था,वहां पहले से काम करने वाले लोग ने मेरा तहे दिल से वेलकम किया और मैंने भी उनका वेलकम स्वीकार किया,तभी एक लड़की भीड़ को हटाते हुए मेरे पास आयी और मुझे गले लगाने लगी मैं थोड़ा सा घबरा गया क्यूंकि अचानक एक लड़की मुझे बिना जाने पहचाने गले लगा रही थी, मैं थोड़ा सा पीछे हटा,लेकिन उसने जबरदस्ती मेरे गले लग कर मुझे गुड मॉर्निंग बोला और मैंने भी उसे गुड मॉर्निंग बोला। फिर मुझे मेरे जगह पर बिठा दिया गया और तभी टीम लीडर आया और मुझे मेरा काम समझाने लगा,मैं भी तेजी से काम सिखने लगा, 4 दिनों में ही मैंने अपना काम सिख लिया,मेरे पास कस्टमर के कॉल आते थे,जिनके साथ मुझे बात करना होता था, तय समय पर मुझे कस्टमर के प्रश्न का उत्तर देना होता था,साथ ही साथ उनके समस्या का समाधान भी करना होता था

मैं कोशिश करता था की ज्यादा से ज्यादा कस्टमर के समस्या का समाधान करने में लगा रहता था,नया-नया जॉब था इसलिए में पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ साथ अपना जॉब कर रहा था,ऐसे में मेरे बगल में रहने वाली लड़की जिसने मुझे गला लगाया था,वो हमेशा बोलती थी की इतना काम मत किया करो जो बीमार पड़ जाओगे, वो मेरे लिए खाना भी बना कर लाती थी, मेरी जिंदगी में उसके आने से एक अलग ख़ुशी सी आ गयी थी, वो किसी ना किसी बहाने से मुझे टच किया करती थी,उसका छूना मुझे बहुत अच्छा लगता था,मुझे खुद पर विश्वास नहीं हो रहा था की एक लड़की सामने से आ कर मेरे में इंटेरस्ट ले रही है,वो मेरा पूरा ख्याल रखती थी, मैं भी उसे अपने करीब आने दे रहा था, वो कब मेरे इतने करीब आ गयी मुझे खुद पता नहीं चला। मैं भी देखते देखते उसके बहुत करीब हो गया मुझे उसका ज़िन्दगी में आना बहुत अच्छा लग रहा था,मुझे लगा जैसे मैं कोई सपना देख रहा हूँ या यूँ कह लीजिये कोई फिल्म देख रहा हूँ,और उस फिल्म का अभिनेता मैं हूँ और वो लड़की फिल्म की अभिनेत्री है। जिंदगी मजे में कट रही थी, कुछ महीनो के बाद मैं अपने कॉल के साथ साथ उस लड़की का भी कॉल लेने लगा और वो लड़की पूरा मजा करने लगी, मैं बहुत परेशान हो गया,लेकिन क्या करता लड़की से प्यार जो कर बैठा। मेरा खुद का काम का परफॉर्मन्स गिरता जा रहा था,जिसकी वजह से टीम लीडर मुझे वार्निंग पर वार्निंग मिलने लगा और एक दिन मैं खुद जॉब छोड़ दिया,ना लड़की मिली ना ही जॉब रहा,जब जॉब ना रहा तब समझ में आया की ज़िन्दगी क्या होती है और फिल्म जैसी तो ज़िन्दगी हो ही नहीं सकती ।

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