इस मानसूनी बारिश से कुछ चिढ़ सा गया था, लगातार टिप-टिप कर होते जा रहा था, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। बारिश की वजह से बाहर निकलने में बहुत समस्या हो रही थी, लेकिन जरुरी काम से जाना ही पड़ता था, क्यूंकि बारिश की वजह से काम तो नहीं रुक सकती थी। ऐसे ही जरुरी काम से मैं तेजी से भागा जा रहा था। बारिश भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था, लगातार बरसे जा रहा था, जैसे कसम खा ली हो की आज नहीं रुकना है।
ऐसे में तेज हवा का चलना और मुसीबत बढ़ा रही थी। खैर अपने मोहोल्ले से निकल कर मैं सड़क से जाने के बजाय गलियों से हो कर गुजरना ज्यादा सही समझा, और दूसरी तरफ वाली गली से हो कर निकल ही रहा था की, सामने एक पीली छतरी नज़र आई, जो एक नज़र लड़की पकड़ी हुई थी, उसका ड्रेस भी पीला था, मतलब पीली सूट पहने पीली छतरी ली हुई सामने एक लड़की नज़र आई, जो काफी परेशान थी, क्यूंकि हवा के झोखे से उसका बाल बार-बार उसके आँखों के सामने आ रहा था, जब वो बालों को हटाती तो उसके हाथ से छाता उड़ रहा था, वो छाते को संभालती तो उसके कदम लड़खड़ाने लगते। कुल मिला कर उसकी परेशानी को देख कर मैं कुछ पल के लिए ठहर सा गया था, जैसे वक्त थम सा गया हो, और मैं बार-बार उसे ही देखा जा रहा था। वो भी बिना किसी को देखे अपने आप में मशरूम थी, कभी छाता तो कभी दुप्पटा तो कभी बाल को सही करने में लगी हुई थी, और मैं उसे देखने में लगा हुआ था।उसके बाल जब भी उसके गालों को छूते, तो ऐसा जान पड़ता जैसे चाँद को बादल ढख रहे हो। अचानक हमारी नज़रे मिली, उसकी बड़ी-बड़ी आँखे मेरे दिल को तार-तार कर रही थी, उसकी आँखों में उलझन साफ़-साफ़ नज़र आ रही थी।
इस मानसूनी बारिश से कुछ चिढ़ सा गया था, लगातार टिप-टिप कर होते जा रहा था, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। बारिश की वजह से बाहर निकलने में बहुत समस्या हो रही थी, लेकिन जरुरी काम से जाना ही पड़ता था, क्यूंकि बारिश की वजह से काम तो नहीं रुक सकती थी। ऐसे ही जरुरी काम से मैं तेजी से भागा जा रहा था। बारिश भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था, लगातार बरसे जा रहा था, जैसे कसम खा ली हो की आज नहीं रुकना है।
ऐसे में तेज हवा का चलना और मुसीबत बढ़ा रही थी। खैर अपने मोहोल्ले से निकल कर मैं सड़क से जाने के बजाय गलियों से हो कर गुजरना ज्यादा सही समझा, और दूसरी तरफ वाली गली से हो कर निकल ही रहा था की, सामने एक पीली छतरी नज़र आई, जो एक नज़र लड़की पकड़ी हुई थी, उसका ड्रेस भी पीला था, मतलब पीली सूट पहने पीली छतरी ली हुई सामने एक लड़की नज़र आई, जो काफी परेशान थी, क्यूंकि हवा के झोखे से उसका बाल बार-बार उसके आँखों के सामने आ रहा था, जब वो बालों को हटाती तो उसके हाथ से छाता उड़ रहा था, वो छाते को संभालती तो उसके कदम लड़खड़ाने लगते। कुल मिला कर उसकी परेशानी को देख कर मैं कुछ पल के लिए ठहर सा गया था, जैसे वक्त थम सा गया हो, और मैं बार-बार उसे ही देखा जा रहा था। वो भी बिना किसी को देखे अपने आप में मशरूम थी, कभी छाता तो कभी दुप्पटा तो कभी बाल को सही करने में लगी हुई थी, और मैं उसे देखने में लगा हुआ था।उसके बाल जब भी उसके गालों को छूते, तो ऐसा जान पड़ता जैसे चाँद को बादल ढख रहे हो। अचानक हमारी नज़रे मिली, उसकी बड़ी-बड़ी आँखे मेरे दिल को तार-तार कर रही थी, उसकी आँखों में उलझन साफ़-साफ़ नज़र आ रही थी।
लेकिन मुझे उस समय उलझन के बजाय कुछ अलग सी कसीस मालूम पड़ रहा था, मेरे दिल में एक अलग सी कश्मकश चल रही थी। बारिश तो सिर्फ मेरे तन को भीगा रही थी, लेकिन वो पीली वाली छतरी मेरे मन को भींगा रही थी। इतने समय में वो मेरे पास आ गयी, मेरे जुबान लड़खड़ा रहे थे, दिल में अजीब से बेचैनी थी, एक मन कह रहा था उससे बात करू, दूजे ही पल कोई रोक रहा था। आखिर मैंने अपने मन पर काबू करते हुए उससे पूछ लिया की, मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ? उसने भी मुस्कुरा कर ना में अपने सर को हिला दिया। उसकी मुस्कराहट ऐसा जान पड़ा जैसे…
चारो तरफ दिए जगमगा रहे हो। मैंने फिर आगे बढ़ते हुए उससे पूछा अगर कोई समस्या हो तो बताए, मुझे आपकी मदद करने में ख़ुशी होगी। उसने फिर कहा,” नहीं मुझे मदद नहीं चाहिए, मेरा बॉय फ्रेंड आता ही होगा।” मुझे ऐसा लगा जैसे मैं आसमा से जमीन पर गिरा दिया गया हूँ। फिर मुझे खुद पर हसी आ रही थी, आज के समय में एक बार भगवान के भले दर्शन हो जाये, लेकिन एक खूबसूरत लड़की का बॉय फ्रेंड ना हो ऐसा मैंने सोच भी कैसे लिया? खैर, मैं खुद पर हसता हुआ, अपने मंजिल की तरफ आगे बढ़ गया।
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