बात उस समय की है, जब मैंने पापा से झगड़ा करके बाहर पढ़ने के लिए पैसे लिए थे, पापा ने भी पैसे दे दिए । चुकी पापा से झगड़ा करके पैसे ले कर पढ़ाई के लिए बाहर आया था, इसलिए पढ़ाई पर ही पूरा फोकस करने का मन बनाया था। मैंने एक इंस्टिट्यूट में एडमिशन करवा लिया, मेरे क्लास में 150 लड़के और 50 लड़कियां थी। इतनी कम लडकिया वो भी सभी पैसे वाली, वहीँ मुझे सिर्फ पढ़ने के लिए पैसे मिले थे। इसलिए मैं क्लास में सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे रहा था । लेकिन वो कहते हैं, ना कभी कभी जो हम ना चाहते हैं, वही हमारे साथ हो जाता है, कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ। मेरे बगल के बेंच पर एक लड़की बैठती थी। जो बहुत सुन्दर थी। मैं क्लास में उसे ही देखता रहता था। उसे देखते-देखते 2 महीने बीत गए, लेकिन मैं उसे कुछ नहीं कह पाया, क्योंकि मैं इंस्टिट्यूट पदैल आता था, वहीँ वो कार से क्लास आती थी। 3 महीने के बाद क्लास में टेस्ट हुआ तो मुझे काफी मार्क्स आये , जिसकी वजह से मैं क्लास में पॉपुलर हो गया, और उसी दिन उस लड़की को मेरी तरफ ध्यान गया, और उस लड़की को एहसास हुआ की मैं उसे देख रहा हूँ। और आख़िरकार 5 महीने के बाद वो लड़की मुझे बात की, मैं उस दिन काफी खुश था, क्योंकि जिस लड़की को मैं पिछले 5महीने से देखा करता था, वो लड़की आज खुद मुझसे बात की। उसे जब भी किसी पेपर में समस्या होती थी वो मुझसे पूछती थी और मैं उसे बता दिया करता था। और वो मुझे देख कर हस करती थी, जिसे मैं उसका प्यार समझ लिया था, और कुछ दिनों की बात-चीत करने के बाद मैंने परपोज़ मार दिया, वो सरप्राइस हो गयी और उसने ऐसा जवाब दिया जिसे सुन कर मेरे होश उड़ गए, उसने सिर्फ इतना बोला की अपनी हैसियत में रहो, लेकिन उसका सिर्फ एक बात मेरी पूरी जिंदगी को बदल डाली। और प्यार के साथ साथ जीने के मायने भी बदल दिए, मतलब साफ़ था की मुझे अपनी औकात देख कर प्यार करना चाहिए था, क्योंकि अब प्यार में भी हैसियत महत्वपूर्ण रोल अदा करता है, ये मुझे नहीं मालूम था ।
Wednesday, 14 November 2018
वो कॉलेज का प्यार
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