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Thursday, 27 December 2018

सही और गलत के बीच का अंतर-अकबर बीरबल

22:51 0
एक बार अकबर बादशाह ने सोचा, "हम रोज-रोज न्याय करते हैं। इसके लिए हमें सही और गलत का पता लगाना पड़ता है। लेकिन सही और गलत के बीच आखिर कितना अंतर होता है?"

अगले दिन अकबर बादशाह ने यह प्रश्न दरबारियों से पूछा।

दरबारी इस प्रश्न का क्या उत्तर देते? दरबारियों के लिए तो बीरबल ही सभी समस्याओं की कुँजी थे, इसलिए सभी दरबारियों की नजरें बीरबल पर टिक गईं।

बादशाह समझ गए कि किसी के पास इस प्रश्न का जवाब नहीं है। यदि किसी के पास जवाब है भी तो उसमें जवाब देने की हिम्मत नहीं है, इसलिए उन्होंने बीरबल से कहा, "बीरबल, तुम्हीं बताओ, सही और गलत में कितना अन्तर है?"

बीरबल ने तुरन्त उत्तर दिया, "बादशाह सलामत! सही और गलत के बीच में सिर्फ चार अंगुल का अंतर है।"

अकबर चौंके। वह तो समझते थे कि इस प्रश्न का कोई जवाब ही नहीं हो सकता!  उन्हें बीरबल का जवाब सुन कर बहुत आश्चर्य हुआ। "बीरबल! अब तुम समझाओ कि तुमने सही और गलत के बीच का यह अन्तर किस प्रकार मापा?"

बीरबल ने कहा,"जहांपनाह! सीधी सी बात है। आँख और कान के बीच चार अँगुल का अन्तर है या नहीं?"

अकबर ने कहा, "हाँ, है! लेकिन मेरे प्रश्न से इसका क्या संबंध है?"

बीरबल ने कहा, "आपके प्रश्न से इसका संबंध है, जहांपनाह! आप जिसे अपनी आंखों से देखते हैं, वही सही है। जिसे आप अपने कानों से सुनते हैं, वह गलत भी हो सकता है। कानों से सुनी हुई बात हमेशा सच नहीं होती, इसलिए सही और गलत के बीच चार अंगुल का ही अन्तर माना जाएगा।"

यह सुनकर बादशाह चकित होकर बोले, "वाह! बीरबल, वाह! तुम्हारी बुद्धि और चतुराई बेजोड़ है।

पैसे की थैली किसकी-अकबर बीरबल

22:27 0
दरबार लगा हुआ था। बादशाह अकबर राज-काज देख रहे थे। तभी दरबान ने सूचना दी कि दो व्यक्ति अपने झगड़े का निपटारा करवाने के लिए आना चाहते हैं।

बादशाह ने दोनों को बुलवा लिया। दोनों दरबार में आ गए और बादशाह के सामने झुककर खड़े हो गए।

"कहो क्या समस्या है तुम्हारी?" बादशाह ने पूछा।

"हुजूर मेरा नाम काशी है, मैं तेली हूं और तेल बेचने का धंधा करता हूं और हुजूर यह कसाई है।
इसने मेरी दुकान पर आकर तेल खरीदा और साथ में मेरी पैसों की भरी थैली भी ले गया। जब मैंने इसे पकड़ा और अपनी थैली मांगी तो यह उसे अपनी बताने लगा, हुजूर अब आप ही न्याय करें।"

"जरूर न्याय होगा, अब तुम कहो तुम्हें क्या कहना है?" बादशाह ने कसाई से कहा। "हुजूर मेरा नाम रमजान है और मैं कसाई हूं, हुजूर, जब मैंने अपनी दुकान पर आज मांस की बिक्री के पैसे गिनकर थैली जैसे ही उठाई, यह तेली आ गया और मुझसे यह थैली छीन ली। अब उस पर अपना हक जमा रहा है, हुजूर, मुझ गरीब के पैसे वापस दिला दीजिए।"

दोनों की बातें सुनकर बादशाह सोच में पड़ गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह किसके हाथ फैसला दें। उन्होंने बीरबल से फैसला करने को कहा।

बीरबल ने उससे पैसों की थैली ले ली और दोनों को कुछ देर के लिए बाहर भेज दिया। बीरबल ने सेवक से एक कटोरे में पानी मंगवाया और उस थैली में से कुछ सिक्के निकालकर पानी में डाले और पानी को गौर से देखा। फिर बादशाह से कहा- "हुजूर, इस पानी में सिक्के डालने से तेल जरा-सा भी अंश पानी में नहीं उभार रहा है। यदि यह सिक्के तेली के होते तो यकीनन उन पर सिक्कों पर तेल लगा होता और वह तेल पानी में भी दिखाई देता।"

बादशाह ने भी पानी में सिक्के डाले, पानी को गौर से देखा और फिर बीरबल की बात से सहमत हो गए।

बीरबल ने उन दोनों को दरबार में बुलाया और कहा- "मुझे पता चल गया है कि यह थैली किसकी है। काशी, तुम झूठ बोल रहे हो, यह थैली रमजान कसाई की है।"

"हुजूर यह थैली मेरी है।"काशी एक बार फिर बोला।

बीरबल ने सिक्के डले पानी वाला कटोरा उसे दिखाते हुए कहा- "यदि यह थैली तुम्हारी है तो इन सिक्कों पर कुछ-न-कुछ तेल अवश्य होना चाहिए, पर तुम भी देख लो… तेल तो अंश मात्र भी नजर नहीं आ रहा है।"

काशी चुप हो गया।

बीरबल ने रमजान कसाई को उसकी थैली दे दी और काशी को कारागार में डलवा दिया।

कवि और धनवान आदमी-अकबर बीरबल

22:25 0
एक दिन एक कवि किसी धनी आदमी से मिलने गया और उसे कई सुंदर कविताएं इस उम्मीद के साथ सुनाईं कि शायद वह धनवान खुश होकर कुछ ईनाम जरूर देगा। लेकिन वह धनवान भी महाकंजूस था, बोला, "तुम्हारी कविताएं सुनकर दिल खुश हो गया। तुम कल फिर आना, मैं तुम्हें खुश कर दूंगा।"

"कल शायद अच्छा ईनाम मिलेगा।" ऐसी कल्पना करता हुआ वह कवि घर पहुंचा और सो गया। अगले दिन वह फिर उस धनवान की हवेली में जा पहुंचा। धनवान बोला, "सुनो कवि महाशय, जैसे तुमने मुझे अपनी कविताएं सुनाकर खुश किया था, उसी तरह मैं भी तुमको बुलाकर खुश हूं। तुमने मुझे कल कुछ भी नहीं दिया, इसलिए मैं भी कुछ नहीं दे रहा, हिसाब बराबर हो गया।"

कवि बेहद निराश हो गया। उसने अपनी आप बीती एक मित्र को कह सुनाई और उस मित्र ने बीरबल को बता दिया। सुनकर बीरबल बोला, "अब जैसा मैं कहता हूं, वैसा करो। तुम उस धनवान से मित्रता करके उसे खाने पर अपने घर बुलाओ। हां, अपने कवि मित्र को भी बुलाना मत भूलना। मैं तो खैर वहां मैंजूद रहूंगा ही।"

कुछ दिनों बाद बीरबल की योजनानुसार कवि के मित्र के घर दोपहर को भोज का कार्यक्रम तय हो गया। नियत समय पर वह धनवान भी आ पहुंचा। उस समय बीरबल, कवि और कुछ अन्य मित्र बातचीत में मशगूल थे। समय गुजरता जा रहा था लेकिन खाने-पीने का कहीं कोई नामोनिशान न था। वे लोग पहले की तरह बातचीत में व्यस्त थे। धनवान की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, जब उससे रहा न गया तो बोल ही पड़ा, "भोजन का समय तो कब का हो चुका ? क्या हम यहां खाने पर नहीं आए हैं ?"

"खाना, कैसा खाना ?" बीरबल ने पूछा।

धनवान को अब गुस्सा आ गया, "क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या तुमने मुझे यहां खाने पर नहीं बुलाया है ?"

"खाने का कोई निमंत्रण नहीं था। यह तो आपको खुश करने के लिए खाने पर आने को कहा गया था।" जवाब बीरबल ने दिया। धनवान का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया, क्रोधित स्वर में बोला, "यह सब क्या है? इस तरह किसी इज्जतदार आदमी को बेइज्जत करना ठीक है क्या ? तुमने मुझसे धोखा किया है।"

अब बीरबल हंसता हुआ बोला, "यदि मैं कहूं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं तो…। तुमने इस कवि से यही कहकर धोखा किया था ना कि कल आना, सो मैंने भी कुछ ऐसा ही किया। तुम जैसे लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए।"

धनवान को अब अपनी गलती का आभास हुआ और उसने कवि को अच्छा ईनाम देकर वहां से विदा ली।

वहां मौजूद सभी बीरबल को प्रशंसाभरी नजरों से देखने लगे।

Sunday, 4 November 2018

पानी के बदले मौत

02:31 0
पानी के बदले मौत
मै आज जो आपको किस्सा सुनाने जा रहा हु वो आज से 10 साल पहले मेरे साथ घटी | दोस्तों आपने सुना होगा कि रात को पानी पास रखकर सोना चाहिए | ये मेरी कहानी पानी पर आधारित है | आज से 10 साल पहले मै अपने मामा के यहा जैसलमेर गया | वहा जाकर पता चला कि यहा तो 2 साल से अकाल पड़ा है और पानी लेने के लिए 5 किलोमीटर जाना पड़ता है | मामा मामी से मिलने के बाद मेरे मामा का लड़का और मै पानी लेने के लिए चल पड़े |

रास्ते मे पैदल चलते हुए थक गए थे और एक जगह बैठ गए | तब उसने एक किस्सा सुनाया कि “पिछले साल पानी की वजह से एक औरत का बच्चा रो रहा था और वो काफी बीमार था इसलिए वो पानी मांगने हमारे गाँव में आयी लेकिन उसको किसी ने पानी नहीं दिया | जब वो वापस लौट रही थी तो रास्ते में उसको ठाकुर के घर पर पानी दिखा तो उसने बिना पूछे पानी पीने की कोशिश की | जब उसको ठाकुर ने देखा तो वो गुस्से से आग बबूला हो गया और कुदाली लेकर उस औरत की तरफ दौड़ा | उस औरत ने भागने की कोशिश की लेकिन वो गिर गयी | ठाकुर ने बिना आव ताव देखे कुदाली से उस औरत की हत्या कर दी | उसके एक दिन बाद उस बच्चे की भी बिना पानी के मौत हो गयी | कुछ दिनों बाद खबर आयी कि उसी कुदाली से ठाकुर को भी किसी ने मार दिया और धीरे धीरे उसके पुरे परिवार को किसी अनजानी ताकत ने मौत के घाट उतार दिया ”

यह किस्सा सुनने के बाद हम दोनों पानी लेकर वापस गाँव की तरफ लौटने लगे | हल्का हल्का अँधेरा हो चुका था | अचानक हमारे सामने एक बच्चा आया और पानी मांगने लगा | लेकिन इतनी दूर से पानी लाने के कारण हमने उसे मना कर दिया | घर पहुचकर मैंने खाना खाया उअर पेड़ के नीचे पलंग पर सो गया | अचानक रात को वोही बच्चा मेरे सामने आया और पानी मांगने लगा | मैंने ध्यान नहीं दिया और गुस्से से उसे कहा कि चले जाओ | और मेरे सामने वो औरत दिखाई दी | अचानक मै उठ गया और देखा वहा कोई नहीं था | मैंने सोचा कोई सपना आया होगा |

फिर रात को २ बजे के आस पास मै पेशाब करने के लिए खुले मैदान की तरफ गया | और मुझे “पानी ” शब्द सुने दिया | मैंने सोचा मामी होगी | फिर मै वापस पंलंग की तरफ लौटा ही था कि अचानक फिर “पानी ” शब्द सुनाई दिया | अब मै गुस्से से आग बबूला हो गया और कहा “कौन है सामने आओ अभी पानी देता हु ” इतना कहते ही मेरे पीछे किसी के होने का अनुभव हुवा तो मैंने पीछे मुडकर देखा तो एक औरत कुदाली लेकर खडी थी | मै डर के मारे बहुत जोर से भागा और रस्ते में एक पत्थर से ठोकर लगने से नीचे गिर गया | उसके बाद जो हुआ वो चमत्कार से कम नहीं था | उस रात हल्के बादल थे और अचानक कुछ पानी की बुँदे उस औरत पर पड़ी और वो औरत गायब हो गयी |

मै अपनी जान बचाने के लिए प्रभु को धन्यवाद देने लगा | अगले दिन ही सुबह जल्दी 5 बजे मैंने अपने घर मकराना जाने की ठान ली | मै अपने मामा मामी को बिना बताये निकल पड़ा | स्टेशन पर पंहुचा और बैठे हुए मैंने देखा कि बच्चा रो रहा था | मै घबरा गया लेकिन वो औरत पास आयी और पानी मांगने लगी | मेरे को पानी चाहिए था लेकिन मैंने अपनी बोतल से उस औरत और बच्चे को पानी पिला दिया | उसके बाद रेल आ गयी और मै अपने घर पहुच गया | उसके बाद से मै हमेशा पानी अपने पास रखकर सोता हु | मित्रो आपको मेरा ये अनुभव कैसा लगा अपने महत्वपूर्ण कमेंट के जरिये बताना ना भूले |
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पानी और डर की कहानी

02:25 0
पानी और डर की कहानी

ये बात उन दिनों की है जब मैं पंद्रह साल का था और आज से लगभग पांच साल पहले मैं अपने मामा किशोर के यहाँ पर रहने के लिए गया हुआ था. जो की आगरा मैं रहते थे. वहा जाकर पता चला कि यहा तो 2 साल से अकाल पड़ा है और पानी लेने के लिए 2 किलोमीटर जाना पड़ता है . मामा मामी से मिलने के बाद मेरे मामा का लड़का और मै पानी लेने के लिए चल पड़े
रास्ते मे पैदल चलते हुए थक गए थे और एक जगह बैठ गए . तब उसने एक किस्सा सुनाया कि पिछले साल पानी की वजह से एक औरत का बच्चा रो रहा था और वो काफी बीमार था. इसलिए वो पानी मांगने हमारे गाँव में आयी लेकिन उसको किसी ने पानी नहीं दिया . जब वो वापस लौट रही थी तो रास्ते में उसको महाजन के घर पर पानी दिखा तो उसने बिना पूछे पानी पीने की कोशिश की
जब उसको महाजन ने देखा तो वो गुस्से से आग बबूला हो गया. उस औरत ने भागने की कोशिश की लेकिन वो गिर गयी . महाजन ने बिना आव ताव देखे उस औरत की हत्या कर दी . उसके एक दिन बाद उस बच्चे की भी बिना पानी के मौत हो गयी . कुछ दिनों बाद खबर आयी कि उसी महाजन को भी किसी ने मार दिया और धीरे धीरे उसके पुरे परिवार को किसी अनजानी ताकत ने मौत के घाट उतार दिया. यह किस्सा सुनने के बाद हम दोनों पानी लेकर वापस गाँव की तरफ लौटने लगे . हल्का हल्का अँधेरा हो चुका था . अचानक हमारे सामने एक बच्चा आया और पानी मांगने लगा . लेकिन इतनी दूर से पानी लाने के कारण हमने उसे मना कर दिया . घर पहुचकर मैंने खाना खाया, पेड़ के नीचे पलंग पर सो गया . अचानक रात को वोही बच्चा मेरे सामने आया और पानी मांगने लगा

मैंने ध्यान नहीं दिया और गुस्से से उसे कहा कि चले जाओ . और मेरे सामने वो औरत दिखाई दी . अचानक मै उठ गया और देखा वहा कोई नहीं था . मैंने सोचा कोई सपना आया होगा . फिर रात को 1 बजे के आस पास मै मैदान की तरफ गया और मुझे पानी शब्द सुने दिया . मैंने सोचा मामी होगी . फिर मै वापस पंलंग की तरफ लौटा ही था कि अचानक फिर पानी शब्द सुनाई दिया . अब मै गुस्से से आग बबूला हो गया और कहा कौन है सामने आओ अभी पानी देता हु इतना कहते ही मेरे पीछे किसी के होने का अनुभव हुवा तो मैंने पीछे मुडकर देखा तो एक औरत कुदाली लेकर खडी थी . मै डर के मारे बहुत जोर से भागा और रस्ते में एक पत्थर से ठोकर लगने से नीचे गिर गया. उसके बाद जो हुआ वो चमत्कार से कम नहीं था. उस रात हल्के बादल थे और अचानक कुछ पानी की बुँदे उस औरत पर पड़ी और वो औरत गायब हो गयी

मै अपनी जान बचाने के लिए प्रभु को धन्यवाद देने लगा . अगले दिन ही सुबह जल्दी 4 बजे मैंने अपने घर मकराना जाने की ठान ली . मै अपने मामा मामी को बिना बताये निकल पड़ा . स्टेशन पर पंहुचा और बैठे हुए मैंने देखा कि बच्चा रो रहा था . मै घबरा गया लेकिन वो औरत पास आयी और पानी मांगने लगी . मेरे को पानी चाहिए था लेकिन मैंने अपनी बोतल से उस औरत और बच्चे को पानी पिला दिया . उसके बाद रेल आ गयी और मै अपने घर पहुच गया . उसके बाद से मै हमेशा पानी अपने पास रखकर सोता हु . उस दिन के बाद से मैं उस रात को याद कर, मैं कांपने लग जाता हु