Wednesday, 14 November 2018

ये कैसा प्यार है

संजीव गोरखपुर का रहने वाला था। वहीँ उसने अपनी पढ़ाई पूरी की,और वहीँ जॉब की तलाश कर रहा था,तभी उसे दिल्ली की एक कंपनी से जॉब का ऑफर आया और वो दिल्ली चला गया, कुछ दिनों तक वो अपने दोस्त के यहाँ रुका फिर उसने अपना अलग रूम ले लिया, अब उसकी जिंदगी रूम से ऑफिस और ऑफिस से रूम तक सिमट कर रह गयी थी, अकेले रहना उसकी मजबूरी थी, क्योंकि मम्मी-पापा गोरखपुर में ही रह रहे थे । एक दिन वो शाम को ऑफिस से जल्दी आ गया और रूम में सोने का सोच जैसे ही बेड पर गया तो लाइट चली गयी और गर्मी की वजह से वो अपने बालकनी में आ कर खड़ा हो गया, तभी पास के ही घर की बालकनी में खड़ी एक लड़की से उसकी निगाहें टकरा गयी,और वो उस लड़की को देखता रह गया, संजीव को वो लड़की बहुत पसंद आयी, काफी देर तक देखने की वजह से लड़की की भी ध्यान संजीव पर जाने लगी, जब भी दोनों एक दूसरे को देखते तो निगाहें इधर-उधर कर लेते,लेकिन चोरी से दोनों एक-दूसरे को ही देख रहे थे, काफी देर तक दोनों चोरी से एक-दूसरे को देखते रहे,तब तक लाइट आ चुकी थी,लेकिन दोनों एक दूसरे को देखने में मशगूल थे, संजीव तब तक बॉलकनी में खड़ा रहा जब तक की अँधेरा ना हो गया, अँधेरा होने के बाद दोनों अपने अपने रूम चले गए । अब संजीव रोज शाम को जल्दी घर आ जाता और बॉलकनी में खड़ा हो कर उस लड़की का इंतजार करता रहता, लड़की भी शाम को अपने बालकनी में खड़ी हो कर संजीव को देखा करती थी। दोनों में ये कैसा प्यार था, दोनों जान नहीं पाए,क्योंकि दोनों को एक दूसरे का ना ही नाम मालूम था, ना ही दोनों एक दूसरे से कभी बात करते थे,सिर्फ दोनों एक दूसरे को अपनी -अपनी बालकनी से देखा करते थे । काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा और एक दिन संजीव ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए इशारो से अपना मोबाइल नंबर लड़की को दे दिया, उस रात लड़की ने कॉल किया तो  संजीव ने उठा कर बात करना शुरू कर दिया, लड़की ने अपना नाम स्वेता बताया, संजीव ने अपना नाम संजीव बताया और कहा,क्या इत्तेफाक है की स से स्वेता और स से स्वेता।उस रात दोनों के बीच काफी देर तक बातें होती रही, संजीव ने बताया की वो गोरखपुर का रहने वाला है और यहाँ एक कम्पनी में काम करता है, स्वेता ने बताया की वो भी गोरखपुर की ही रहने वाली है और यहाँ जॉब करती है, दूसरा आस्चर्य कर देने वाली बात थी की दोनों एक ही जगह से थे और इतनी दूर दिल्ली में उनकी मुलाकात हुई। फिर दोनों बात समाप्त करके सो गए,अगली शाम को दोनों बालकनी में जरूर खड़े थे,लेकिन एक दूसरे को देखते हुए बात भी कर रहे थे वो भी मोबाइल से। संजीव ने स्वेता से कहा की वो उसे पसंद करता है,लेकिन क्या स्वेता भी संजीव को पसंद करती है? इसका उत्तर आपको कहानी की अगली कड़ी पढ़ने पर मालूम चलेगा।

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