Wednesday, 14 November 2018

इस प्यार को क्या नाम दू

सौरभ बचपन से पढ़ने में अच्छा था, वह अपने माता-पिता के साथ पटना में रहता था.उसने अपनी स्कूलिंग भी पटना से ही की थी, और कॉलेज की भी पढ़ाई पटना से ही पूरी की. हलाकि वह पढ़ने में तेज होने के साथ साथ देखने में भी स्मार्ट था, लेकिन उसकी किस्मत अच्छी नहीं थी, वह भी सिर्फ एक मामले में. वह थी लड़कियों के मामले में. उसे स्कूल से ले कर कॉलेज तक जो भी लड़की पसंद आयी किसी लड़की ने उसका साथ नहीं दिया, भले सौरभ ने लड़कियों से सच्चा प्यार किया था, अब आप सोच रहे होंगे की भला इतनी लड़कियों पर ट्राई करने वाला सौरभ सच्चा प्यार कैसे कर सकता है, तो बता दे की वो सच्चा प्यार की तलाश में ही लड़कियों पर ट्राई करता था, कुछ से तो उसने सिद्दत वाली मोहोब्बत की, लेकिन लड़कियों को सौरभ तो पसंद आता था, लेकिन उसका मोहोब्बत नहीं, शायद लड़कियां अब सिद्दत वाली मोहोब्बत से घबराती हैं, क्योँकि उन्हें अपने इज्जत के साथ साथ अपने माता-पिता की भी इज्जत प्यारी थी, लेकिन सौरभ का सोच जरा हट कर था, उसका मानना था की अगर वह सच्चा प्यार, सिद्दत से करता है तो लड़कियां भी उससे वैसा ही प्यार करे, और तो और वह प्यार शुरू करता था की बात शादी पर ले आता था, भला कोई लड़की इतनी जल्दी शादी के लिए हामी कैसे भर दे, यह बात सौरभ को समझ ही नहीं आती थी, इसलिए उसका प्यार ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता था, और जल्दी ही टूट जाता था, फिर सौरभ गम के अँधेरे में डूब जाता था, फिर कोई लड़की पसंद आती थी तो सौरभ उसके साथ जिंदगी के हसीं सपने बुनने लगता था. इसी क्रम में ग्रेजुशन पूरा करने के बाद उसकी जॉब दवाई कम्पनी में हो गयी. कम्पनी अच्छी थी, इसलिए सौरभ की सेलरी भी अच्छी थी, वह खुश था, लेकिन इस कम्पनी में उसे उसे जीवन संगिनी नहीं मिल पायी, तभी उसके एक दोस्त ने इससे भी अच्छी कम्पनी में काम करने का मौका दिया और सौरभ दूसरी कंपनी में चला गया, इस कम्पनी में उसे पहले कम्पनी का तजुर्बा काम आया, जिसकी वजह से उसे इस कम्पनी में पोस्ट के साथ साथ सैलरी भी ज्यादा हो गया, अब सौरभ और खुश हो गया, लेकिन इस कंपनी को ज्वाइन करने के बाद उसे ट्रेनिंग के लिए दिल्ली जाना पड़ा, जहाँ उसके साथ साथ और भी लड़के और लड़कियां ट्रेनिंग करने के लिए आये थे, जिनमे एक लड़की जिसका नाम सुरभि था, वो भी आयी थी, हलाकि सुरभि का पोस्ट और सैलरी दोनों सौरभ से ज्यादा था लेकिन ट्रेनिंग के दौरान सौरभ और सुरभि के आँखें कई बार टकरायी, सुरभि देखने में बहुत सुन्दर थी सुन्दर होने के साथ साथ उसे मार्केटिंग का भी पूरा ज्ञान था, दो दिनों तक सिर्फ दोनों एक दूसरे को देखते रहे, फिर तीसरे दिन मौका देख कर सौरभ ने दोस्ती का हाथ सुरभि की तरफ बढ़ाया, जिसे सुरभि ने हस्ते हुए थाम लिया, फिर दोनों में बात चीत शुरू हुई, सुरभि ने बताया की उसका घर कानपुर है और उसके पिता उद्योगपति हैं लेकिन वह खुद अपने पैरो पर खड़ा होना चाहती है वह खुद कुछ करना चाहती है इसलिए यह कम्पनी ज्वाइन की है, सुरभि की बात सुन कर सौरभ खुश हुआ, और उसे सुरभि से कब प्यार हो गया, उसे खुद पता नहीं चला, सौरभ कई बार अपने प्यार का इजहार उससे करना चाहता था लेकिन कभी कह नहीं पाया, एक रात दोनों लंच साथ कर रहे थे, लंच करते हुए दोनों को बहुत लेट हो गया सुरभि ने सौरभ को अपने यहाँ ही रुकने को बोला, सौरभ मान गया, और सुरभि सौरभ को ले कर अपने फ्लैट में ले गयी, जहाँ सुरभि अकेले रहती थी , इसलिए फ्लैट में बेड भी एक था, रात को दोनों एक ही बेड पर सोये हुए थे ,

सौरभ को पूरा मौका था की वह अपने प्यार का इजहार कर दे लेकिन मालूम नहीं उसका दिल उसे कहने से रोक रहा था, और कब उसकी आँख लग गयी उसे खुद मालुम नहीं चला और वह सो गया, सुबह उठा तो सुरभि चाय ले कर हाजिर थी, सौरभ चुप चाप चाय पिया और फ्रेश हो कर तैयार हो गया, इसी बिच सुरभि ने नाश्ता तैयार कर दिया और खुद भी तैयार होने चली गयी, फिर दोनों एक साथ नाश्ता किये और ट्रेनिंग सेंटर की तरफ बढ़ गए , कब ट्रेनिंग पूरा हुआ सौरभ को पता ही नहीं चला और उसे वापस अपने शहर पटना लौटना पड़ा. लेकिन उसे सुरभि के साथ बिताये हर पल याद आ रहे थे, अब उसका मन काम में नहीं लग रहा था, वह एक महीना के बाद फिर से दिल्ली चला गया और सुरभि के फ्लैट पर पहुंच गया, जिसे देख कर सुरभि को आस्चर्य हुआ की अचानक से सौरभ कैसे आ गया, उस रात सौरभ ने सुरभि से अपने हाले दिल को बयान कर दिया, और उससे शादी करने की इक्छा जताई, जिसे सुन कर सुरभि चौंक गयी और उसने साफ़ साफ़ कह दिया की पहले वह कुछ बनाना चाहती है फिर शादी के बारे में सोचेगी, सौरभ ने कहा की शादी कर ले फिर उसे जो बनाना है बन जाए वह नहीं रोकेगा, इस पर सुरभि ने कहा की ठीक है, वह उसके साथ एक दिन बाजार घूमे, सौरभ मान गया, अगले दिन जब सुरभि बाजार गयी और अपने क्लाइंट से जिस तरह बात कर रही थी हसी मजाक कर थी सौरभ को अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन सुरभि लगातार जब तक बाजार में रही उसका व्यवहार सभी के साथ वैसा ही रहा, शायद इसलिए तो वह दिल्ली में नंबर वन पर थी, लेकिन सौरभ को यह बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था . शाम को सुरभि ने सिर्फ इतना कहा की वह रोज इसी तरह अपने क्लाइंट से बात करती है और अपना टारगेट पूरा करती है, क्या उसे यह पसंद है सौरभ सोच में पड़ गया, उसने कहा, कुछ हद तक तो ठीक है लेकिन इतना भी फ्रेंक होना सही नहीं है, इस पर सुरभि ने बोला की अगर वह फ्रेंक नहीं होगी तो उसका टारगेट पूरा नहीं होगा, उसे टॉप करना है, इसलिए वह ऐसा ही व्यवहार रखेगी. अब सौरभ सोच में पड़ गया और बिना कुछ बोले वापस पटना आ गया, उसने काफी सोचा और बाद में उसके दिल ने कहा, जैसी भी है सुरभि उसकी है इसलिए उसका हर शर्त उसे मंजूर है, यह सोच कर वह वापस दिल्ली चला गया, लेकिन यह क्या सुरभि सौरभ को देखते ही बोली तुम फिर से वापस आ गए, तुम्हे खुद तो काम करना नहीं है मुझे भी नहीं करने दोगे, क्योँकि कम्पनी ने सौरभ को निकल दिया यह सुचना सभी को मिल चुकी थी, हलाकि यह सुचना सौरभ को नहीं मिली थी लेकिन जब उसने मेल चेक किया तो उसे मालूम पड़ा की वह कम्पनी से निकाल दिया गया है, यह देख कर और सुरभि से ऐसी बात सुन कर वह वापस पटना लौट आया और वापस पहले वाली कम्पनी को ज्वॉइन कर लिया और उस कम्पनी में उसने बहुत मेहनत की जिसकी वजह से आज कम्पनी उसे पुरे भारत में अपने वर्कर्स को मोटीवेट करने के लिए सौरभ को भेजती है. हलाकि सौरभ को सुरभि नहीं मिली लेकिन सुरभि की बात उसके दिल को इतना ठेस पहुंचा गयी की आज वह पुरे भारत में कम्पनी को रिप्रेजेंट करता है.

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