Wednesday, 14 November 2018

प्यार में हाँ-ना

यूँ तो प्यार में मोहोब्बत और झगड़ा आम बात है, लेकिन यहाँ कहानी यूँ है की लड़की को मालूम ही नहीं की उसे प्यार है या फिर नहीं. बात दरसल ये है की जुली चार भाई-बहन है. जिसमे जुली तीसरे नंबर है, उससे बड़ी एक बहन और एक भाई है, जबकि एक बहन उससे छोटी है. जुली के पिता प्राइवेट जॉब ही करते थे, लेकिन अचानक से बीमार पड़ने की वजह से वो जॉब नहीं कर पाए और साडी जिम्मेदारी जुली के बड़े भाई और बहन पर आ गयी, उस समय जुली ने अपनी दसवीं की परीक्षा ही दी थी की उसे पढ़ाई छोड़ना पड़ा. इधर उसकी बड़ी बहन ने घर की जिम्मेदारी उठाने के बजाय एक लड़के से शादी करके उसके साथ रहने चली गयी और बड़ा भाई भी सबो से रिश्ता तोड़ कर दिल्ली चला गया, अब घर में बच गए जुली उसकी छोटी बहन और उसके माता-पिता. हलाकि जुली की माँ ने छोटा मोटा काम करके घर चलाने की कोशिश की लेकिन जितना पैसा वो कमाती, उससे ज्यादा खर्च घर का था, ऊपर से जुली के पिता के दवाई का खर्चा अलग था. अब जुली ने भी जॉब ढूंढनी शुरू कर दी, लेकिन दसवीं पास जुली को भला क्या जॉब मिलता, लेकिन तभी उसे साडी की दुकान में सेल्स गर्ल का काम मिल गया और उसने वह काम ही शुरू कर दिया, इस तरह से घर का खर्च जुली ने उठाना श्युरु कर दिया, लेकिन आखिर कब तक महंगाई बढ़ रही थी और आमदनी सीमित थी, इसलिए जुली दूसरा भी जॉब ढूंढने लगी, इसी क्रम में उसकी मुलाकात रोहित नाम के लड़के से हुई और रोहित ने उसका अच्छा जॉब लगवा देने की बात कही, रोहित स्मार्ट था, बोलने भी काफी तेज था, जुली रोहित के बिलकुल करीब चली गयी यह सोचते हुए की अगर जॉब ना भी मिले तो वह रोहित से शादी कर लेगी और अपनी जिंदगी सेट कर लेगी, लेकिन रोहित के दिमाग में ऐसा कुछ नहीं था वह तो सिर्फ जुली का यूज़ करना चाहता था, हुआ भी यही जुली को ना ही जॉब मिली ना ही रोहित, क्योँकि रोहित ने जुली को शादी का आश्वासन ही दिया और उससे शारीरिक संबंध बनाया, जब जुली ने रोहित पर शादी के लिए प्रेसर बनाया तो रोहित मुकुर गया. यह देख जुली को बहुत बुरा लगा, इधर जॉब छोड़ने की वजह से जुली के घर की माली हालत भी खराब हो गयी, ऐसे में जुली की मदद नीरज ने की और जुली को एक स्टोर में जॉब लगवा दिया, यहाँ जुली को अच्छा पैसा मिलता था, हलाकि नीरज जुली के करीब जाने की कोशिश की लेकिन वो कहते हैं ना, दूध का जला हुआ झाझ भी फूँक फूँक कर पीता है कुछ ऐसा ही जुली के साथ था.

नीरज ने काफी कोशिश की लेकिन जुली उसके करीब नहीं आयी, और नीरज अपने जॉब में लग गया, वह जुली को भुला दिया था. इधर स्टोर में ही काम करने वाला राजेश जुली के करीब आने लगा, और धीरे धीरे दोनों करीब आ गए, एक बार फिर दोनों के बिच प्यार का रिश्ता इतना बढ़ गया की दोनों ने अपनी सीमा लांघ दिया, और एक बार फिर जुली ने राजेश से शादी की बात शुरू कर दी, इस पर राजेश टाल मटोल करने लगा और दिल्ली चला गया अच्छे जॉब के लिए, उसने बताया की वह दिल्ली में सेट होने के बाद जुली को यहीं बुला लेगा और उससे शादी भी करेगा लेकिन इस बात को अब एक साल हो गए ना राजेश आया ना ही जुली को ले गया, एक बार फिर जुली अकेली हो गयी, और अकेलेपन में उसे नीरज की याद आयी, उसे तब ध्यान आया की काश वह नीरज के प्यार को समझ पाती, लेकिन तब तक तो देर हो चुकी थी, हलाकि जुली ने काफी कोशिशे की वह वापस नीरज की जिंदगी में आ जाए, लेकिन नीरज तब ताकि बहुत आगे बढ़ चूका था, और उसने जुली से सिर्फ इतना कहा की किसी का इंतजार तभी तक किया जा सकता है, जब तक की उसे उम्मीद हो लेकिन तुम्हारे हाँ-ना के चक्कर में मैंने काफी अपने दिल को जोड़ा और तोडा आखिर कार मैंने तुम्हे दिल से निकाल दिया और तुम्हे भुला कर अपनी नयी जिंदगी शुरू कर दी, अब इस जिंदगी में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है, आज भी जुली की आँखें नीरज के प्यार को ढूंढती है, लेकिन नीरज ने जुली को सदा के लिए गुड बाय कह दिया……

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