एक गाँव में चित्रांग नाम का कुत्ता रहता था । वहां दुर्भिक्ष पड़ गया । अन्न के अभाव में कई कुत्तों का वंशनाश हो गया । अन्न के अभाव में कई कुत्तों का वंशनाश हो गया । चित्रांग ने भी दुर्भिक्ष से बचने के लिये दूसरे गाँव की राह ली । वहाँ पहुँच कर उसने एक घर में चोरी से जाकर भरपेट खाना खा लिया । जिसके घर खाना खाया था उसने तो कुछ़ नहीं कहा, लेकिन घर से बाहर निकला तो आसपास के सब कुत्तों ने उसे घेर लिया । भयङकर लड़ाई हुई । चित्रांग के शरीर पर कई घाव लग गये । चित्रांग ने सोचा---’इससे तो अपना गाँव ही अच्छा है, जहाँ केवल दुर्भिक्ष है, जान के दुश्मन कुत्ते तो नहीं हैं ।’
यह सोच कर वह वापिस आ गया । अपने गाँव आने पर उससे सब कुत्तों ने पूछा---"चित्रांग ! दूसरे गाँव की बात
सुना । वह गाँव कैसा है ? वहाँ के लोग कैसे हैं ? वहाँ खाने-पीने की चीजें कैसी हैं ?"
चित्रांग ने उत्तर दिया ----"मित्रो, उस गाँव में खाने-पीने की चीजें तो बहुत अच्छी़ हैं, और गृह-पत्नियाँ भी नरम स्वभाव की हैं; किन्तु दूसरे गाँव में एक ही दोष है, अपनी जाति के ही कुत्ते बड़े खूंखार हैं ।"
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