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Sunday, 4 November 2018

पानी के बदले मौत

02:31 0
पानी के बदले मौत
मै आज जो आपको किस्सा सुनाने जा रहा हु वो आज से 10 साल पहले मेरे साथ घटी | दोस्तों आपने सुना होगा कि रात को पानी पास रखकर सोना चाहिए | ये मेरी कहानी पानी पर आधारित है | आज से 10 साल पहले मै अपने मामा के यहा जैसलमेर गया | वहा जाकर पता चला कि यहा तो 2 साल से अकाल पड़ा है और पानी लेने के लिए 5 किलोमीटर जाना पड़ता है | मामा मामी से मिलने के बाद मेरे मामा का लड़का और मै पानी लेने के लिए चल पड़े |

रास्ते मे पैदल चलते हुए थक गए थे और एक जगह बैठ गए | तब उसने एक किस्सा सुनाया कि “पिछले साल पानी की वजह से एक औरत का बच्चा रो रहा था और वो काफी बीमार था इसलिए वो पानी मांगने हमारे गाँव में आयी लेकिन उसको किसी ने पानी नहीं दिया | जब वो वापस लौट रही थी तो रास्ते में उसको ठाकुर के घर पर पानी दिखा तो उसने बिना पूछे पानी पीने की कोशिश की | जब उसको ठाकुर ने देखा तो वो गुस्से से आग बबूला हो गया और कुदाली लेकर उस औरत की तरफ दौड़ा | उस औरत ने भागने की कोशिश की लेकिन वो गिर गयी | ठाकुर ने बिना आव ताव देखे कुदाली से उस औरत की हत्या कर दी | उसके एक दिन बाद उस बच्चे की भी बिना पानी के मौत हो गयी | कुछ दिनों बाद खबर आयी कि उसी कुदाली से ठाकुर को भी किसी ने मार दिया और धीरे धीरे उसके पुरे परिवार को किसी अनजानी ताकत ने मौत के घाट उतार दिया ”

यह किस्सा सुनने के बाद हम दोनों पानी लेकर वापस गाँव की तरफ लौटने लगे | हल्का हल्का अँधेरा हो चुका था | अचानक हमारे सामने एक बच्चा आया और पानी मांगने लगा | लेकिन इतनी दूर से पानी लाने के कारण हमने उसे मना कर दिया | घर पहुचकर मैंने खाना खाया उअर पेड़ के नीचे पलंग पर सो गया | अचानक रात को वोही बच्चा मेरे सामने आया और पानी मांगने लगा | मैंने ध्यान नहीं दिया और गुस्से से उसे कहा कि चले जाओ | और मेरे सामने वो औरत दिखाई दी | अचानक मै उठ गया और देखा वहा कोई नहीं था | मैंने सोचा कोई सपना आया होगा |

फिर रात को २ बजे के आस पास मै पेशाब करने के लिए खुले मैदान की तरफ गया | और मुझे “पानी ” शब्द सुने दिया | मैंने सोचा मामी होगी | फिर मै वापस पंलंग की तरफ लौटा ही था कि अचानक फिर “पानी ” शब्द सुनाई दिया | अब मै गुस्से से आग बबूला हो गया और कहा “कौन है सामने आओ अभी पानी देता हु ” इतना कहते ही मेरे पीछे किसी के होने का अनुभव हुवा तो मैंने पीछे मुडकर देखा तो एक औरत कुदाली लेकर खडी थी | मै डर के मारे बहुत जोर से भागा और रस्ते में एक पत्थर से ठोकर लगने से नीचे गिर गया | उसके बाद जो हुआ वो चमत्कार से कम नहीं था | उस रात हल्के बादल थे और अचानक कुछ पानी की बुँदे उस औरत पर पड़ी और वो औरत गायब हो गयी |

मै अपनी जान बचाने के लिए प्रभु को धन्यवाद देने लगा | अगले दिन ही सुबह जल्दी 5 बजे मैंने अपने घर मकराना जाने की ठान ली | मै अपने मामा मामी को बिना बताये निकल पड़ा | स्टेशन पर पंहुचा और बैठे हुए मैंने देखा कि बच्चा रो रहा था | मै घबरा गया लेकिन वो औरत पास आयी और पानी मांगने लगी | मेरे को पानी चाहिए था लेकिन मैंने अपनी बोतल से उस औरत और बच्चे को पानी पिला दिया | उसके बाद रेल आ गयी और मै अपने घर पहुच गया | उसके बाद से मै हमेशा पानी अपने पास रखकर सोता हु | मित्रो आपको मेरा ये अनुभव कैसा लगा अपने महत्वपूर्ण कमेंट के जरिये बताना ना भूले |
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पानी और डर की कहानी

02:25 0
पानी और डर की कहानी

ये बात उन दिनों की है जब मैं पंद्रह साल का था और आज से लगभग पांच साल पहले मैं अपने मामा किशोर के यहाँ पर रहने के लिए गया हुआ था. जो की आगरा मैं रहते थे. वहा जाकर पता चला कि यहा तो 2 साल से अकाल पड़ा है और पानी लेने के लिए 2 किलोमीटर जाना पड़ता है . मामा मामी से मिलने के बाद मेरे मामा का लड़का और मै पानी लेने के लिए चल पड़े
रास्ते मे पैदल चलते हुए थक गए थे और एक जगह बैठ गए . तब उसने एक किस्सा सुनाया कि पिछले साल पानी की वजह से एक औरत का बच्चा रो रहा था और वो काफी बीमार था. इसलिए वो पानी मांगने हमारे गाँव में आयी लेकिन उसको किसी ने पानी नहीं दिया . जब वो वापस लौट रही थी तो रास्ते में उसको महाजन के घर पर पानी दिखा तो उसने बिना पूछे पानी पीने की कोशिश की
जब उसको महाजन ने देखा तो वो गुस्से से आग बबूला हो गया. उस औरत ने भागने की कोशिश की लेकिन वो गिर गयी . महाजन ने बिना आव ताव देखे उस औरत की हत्या कर दी . उसके एक दिन बाद उस बच्चे की भी बिना पानी के मौत हो गयी . कुछ दिनों बाद खबर आयी कि उसी महाजन को भी किसी ने मार दिया और धीरे धीरे उसके पुरे परिवार को किसी अनजानी ताकत ने मौत के घाट उतार दिया. यह किस्सा सुनने के बाद हम दोनों पानी लेकर वापस गाँव की तरफ लौटने लगे . हल्का हल्का अँधेरा हो चुका था . अचानक हमारे सामने एक बच्चा आया और पानी मांगने लगा . लेकिन इतनी दूर से पानी लाने के कारण हमने उसे मना कर दिया . घर पहुचकर मैंने खाना खाया, पेड़ के नीचे पलंग पर सो गया . अचानक रात को वोही बच्चा मेरे सामने आया और पानी मांगने लगा

मैंने ध्यान नहीं दिया और गुस्से से उसे कहा कि चले जाओ . और मेरे सामने वो औरत दिखाई दी . अचानक मै उठ गया और देखा वहा कोई नहीं था . मैंने सोचा कोई सपना आया होगा . फिर रात को 1 बजे के आस पास मै मैदान की तरफ गया और मुझे पानी शब्द सुने दिया . मैंने सोचा मामी होगी . फिर मै वापस पंलंग की तरफ लौटा ही था कि अचानक फिर पानी शब्द सुनाई दिया . अब मै गुस्से से आग बबूला हो गया और कहा कौन है सामने आओ अभी पानी देता हु इतना कहते ही मेरे पीछे किसी के होने का अनुभव हुवा तो मैंने पीछे मुडकर देखा तो एक औरत कुदाली लेकर खडी थी . मै डर के मारे बहुत जोर से भागा और रस्ते में एक पत्थर से ठोकर लगने से नीचे गिर गया. उसके बाद जो हुआ वो चमत्कार से कम नहीं था. उस रात हल्के बादल थे और अचानक कुछ पानी की बुँदे उस औरत पर पड़ी और वो औरत गायब हो गयी

मै अपनी जान बचाने के लिए प्रभु को धन्यवाद देने लगा . अगले दिन ही सुबह जल्दी 4 बजे मैंने अपने घर मकराना जाने की ठान ली . मै अपने मामा मामी को बिना बताये निकल पड़ा . स्टेशन पर पंहुचा और बैठे हुए मैंने देखा कि बच्चा रो रहा था . मै घबरा गया लेकिन वो औरत पास आयी और पानी मांगने लगी . मेरे को पानी चाहिए था लेकिन मैंने अपनी बोतल से उस औरत और बच्चे को पानी पिला दिया . उसके बाद रेल आ गयी और मै अपने घर पहुच गया . उसके बाद से मै हमेशा पानी अपने पास रखकर सोता हु . उस दिन के बाद से मैं उस रात को याद कर, मैं कांपने लग जाता हु

एक परछाई की रौशनी का राज

02:23 0
एक परछाई की रौशनी का राज

उसके घर में ऐसा कुछ था जो उसे पता नहीं था उसका असर भी नज़र नहीं आ रहा था वह तीन भाई थे तीनो साथ में बात तो करते थे मगर वह तीनो ही अलग थे, उनके मकान भी तीनो के साथ में ही जुड़े हुए थे, जैसे की एक लाइन में बने होते है पहले भाई की दिवार दूसरे भाई की दिवार से जुडी थी और तीसरे भाई की दिवार दूसरे भाई की दिवार से जुडी हुई थी, वह तीनो भाई अलग-अलग काम करते थे,
 उनके सभी के खेत भी अलग-अलग थे, बड़े भाई को कुछ कम मिला हुआ था मगर दोनों छोटे भाई को अच्छा मिला था बड़े को इस बात का गम नहीं था मगर जो हुआ था वह सोचकर बहुत परेशान हो जाते थे, वो जीवन में धन को महत्व नहीं देते है बल्कि उनका मानना है की धन सिर्फ जीविका को चला सकता है मगर जीवन में अच्छे सम्बन्ध को नहीं बना सकता है लेकिन दोनों छोटे भाई इस बारे में गलत ही सोचते है उनका मानना है की धन ही सब कुछ है
एक दिन की बात है बड़ा भाई अपने खेत में काम कर रहा था लगभग दोपहर हो चुकी थी, उसे कोई अपने खेत में खड़ा हुआ नज़र आया था मगर इससे पहले की वह कुछ देख पाते तब तक वह वहा से जा चूका था तभी बड़ा भाई दूसरे भाई के पास आया और पूछा की क्या तुमने किसी को यहां पर देखा है लेकिन उसने साफ़ मना कर दिया था क्योकि उसने किसी को भी नहीं देखा था वह सोच में पड़ गया था
तभी वह जब घर पर आया तो उसने अपनी पत्नी को यह बात बता दी थी की आज उसने किसी को देखा है मगर जब तक वह पहचान पाता तब तक वह दिखाई नहीं दिया था उसकी पत्नी को कुछ समझ नहीं आया था उसने कहा की यह आपका वहम हो सकता है इस तरह उन्होंने ने उस बात को वही पर रोक दिया था अगले दिन बड़ा भाई काम पर गया था और उसे फिर कुछ वही पर नज़र आया था वह उसके पास जाना चाहता था मगर फिर से वह नाकामयाब हो गया था, लेकिन इस बार वह वहम नहीं हो सकता था 
यह क्या हो रहा है उसे समझने के लीयते वह अपने दूसरे भाई के पास गया था मगर किसी ने भी यहां पर कोई नहीं देखा था जब बड़ा भाई घर आया तो उसने पत्नी को बताया की आज फिर से कोई हमे देख रहा था मगर उसके पास जाने से पहले फिर वह चला गया था उधर पत्नी ने भी एक बात अपने पति को बताई थी.
 जब वह घर में काम कर रही थी तो दूसरे कमरे में रौशनी नज़र आयी थी उस रौशनी को देखने के लिए वह अंदर गयी तो कुछ भी नज़र नहीं आया था मगर मुझे अच्छे से याद है की उस समय बिजली नहीं थी और फिर भी कमरे में रौशनी थी जब देखा तो कुछ भी नहीं था ऐसा पता नहीं क्यों हो रहा था दोनों लोग बहुत ज्यादा डर चुके थे यह क्या हो रहा था, उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था अगर वह यह बात किसी को बता भी देते है तो भी कुछ फायदा नहीं होगा

वह यह सब पता करने के लिए एक साधू बाबा के पास गए थे, उन्होंने ने साड़ी बात उन्हें बताई मगर उनके पास और कुछ भी ऐसा बताने के लिए नहीं था, साधू बाबा ने कहा की में तुम्हारे घर पर एक दिन आयूंगा उसके बाद ही कुछ बता सकते है की क्या होता है और किस वजह से यह हो रहा है, उसके बाद वह दोनों घर चले गए थे, उनकी समस्या ऐसी ही बनी थी, कोई कुछ भी नहीं कर सकता था
हर रोज जब वह काम पर जाता तो उसे वह फिर से नज़र आ जाता था, इस तरह घर पर जब वह काम करती थी तो घर में भी रौशनी हो जाया करती थी, इस तरह जब कुछ दिन बीत गए थे तो उनके घर पर साधू बाबा आये थे, जब वह घर पर आये तो उन्होंने ने सब कुछ दुबारा से पूछा और सब कुछ सुनने के बाद उन्होंने ने यह तय किया की कल सुबह वह खेत की और जाएंगे बड़े भाई के साथ वह खेत की और गए थे
जब दोपहर हुई तो साधू बाबा ने देखा की वह आदमी नहीं है एक परछाई है जबकि उसे आदमी समझा जा रहा था साधू बाबा ने पोता करने की कोशिश की थी यह कौन हो सकते है मगर कुछ पता नहीं चला था उसके बाद वह घर की और आ गए थे जब वह घर पहुंचे तो उन्होंने ने सुना की यहां पर भी एक कमरे में रौशनी होती है, इसका पता लगाने के लिए अगले दिन वह सभी लोग घर पर रुके हुए थे जब वह रौशनी हुई तो सभी लोग उस कमरे में गए थे     
जब वह कमरे में गए तो वह रौशनी हलकी हो रही थी उस रौशनी की चमक कमरे के फर्श से आ रही थी साधू बाबा ने कहा की यह दोनों काम एक दिन से शरू हुए थे और यह दोनों बात एक साथ जुडी हुई है वह परछाई यही कहना चाहती है की तुम्हे अपने घर में देखना चाहिए क्योकि इस कमरे से रौशनी निकल रही थी तुम्हे यहां पर खोद कर देखना चाहिए तभी इस बात का पता चल पायेगा

उसके बाद उस जगह को खोदा गया था लेकिन यह बात किसी को भी नहीं बतानी थी इसलिए उस वक़्त वही लोग वही पर थे जब बहुत ज्यादा खोदा गया था, तो उसके बाद उसमे खुश पुराने घड़े रखे हुए नज़र आये थे उन्हें निकालकर देखा गया तो उनमे सोना रखा गया था यह काम उनके शायद दादाजी ने किया होगा यह रौशनी उन्हें इस धन के पास लाना चाहती थी जिससे उन्हें जीवन में कोई परेशानी न हो, इस तरह इस समस्या का हल हो गया था

आखिर कौन था वो

02:08 0
आखिर कौन था वो


आधुनिक समय में भूत-प्रेत अंधविश्वास के प्रतीक के रूप में देखे जाते हैं पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भूत-प्रेतों के अस्तित्व को नकार नहीं सकते। कुछ लोग (पढ़े-लिखे) जिन्हें भूत-प्रेत पर पूरा विश्वास होता है वे भी इन आत्माओं के अस्तित्व को नकार जाते हैं क्योंकि उनको पता है कि अगर वे किसी से इन बातों का जिक्र किए तो सामने वाला भी (चाहें भले इन बातों को मानता हो पर वह) यही बोलेगा, "पढ़े-लिखे होने के बाद भी, आप ये कैसी बातें कर रहे हैं?" और इस प्रश्न का उत्तर देने और लोगों के सामने अपने को गँवारू समझे जाने से बचने के लिए लोग इन बातों का जिक्र करने से बचते हैं।

मैं आज यहाँ दो वृत्तांत का वर्णन करूँगा जिसको सुनने-पढ़ने के बाद आपको क्या लगता है अवश्य बताएं। खैर मैं भी तो भूत-प्रेत को नहीं मानता पर कभी-कभी कुछ ऐसी घटनाएँ घट जाती हैं कि भूत-प्रेत के अस्तित्व को नकारना बनावटी लगता है।

बात कोई 15-16 साल पहले की है। मैं जिस जगह पर काम करता था वहीं पास में एक फ्लैट किराए पर लिया था। इस फ्लैट में मैं अकेले रहता था हाँ पर कभी-कभी कोई मित्र-संबंधी आदि भी आते रहते थे। इस फ्लैट में एक बड़ा-सा हाल था और इसी हाल से संबंध एक बाथरूम और रसोईघर। एक छोटे से परिवार के लिए यह फ्लैट बहुत ही अच्छा था और सबसे खास बात इस फ्लैट कि यह थी कि यह पूरी तरह से खुला-खुला था। मैं आपको बता दूँ कि इस फ्लैट का हाल बहुत बड़ा था और इसके पिछले छोर पर सीसे जड़ित दरवाजे लगे थे जिसे आप आसानी से खोल सकते थे। पर मैं इस हाल के पिछले भाग को बहुत कम ही खोलता था क्योंकि कभी-कभी भूलबस अगर यह खुला रह गया तो बंदर आदि आसानी से घर में आ जाते थे और बहुत सारा सामान इधर-उधर कर देते है। आप सोच रहे होंगे कि बंदर आदि कहाँ से आते होंगे तो मैं आप लोगों को बताना भूल गया कि यह  हमारी बिल्डिंग एकदम से एक सुनसान किनारे पर थी और इसके अगल-बगल में बहुत सारे पेड़-पौधे, जंगली झाड़ियाँ आदि थीं। अपने फ्लैट में से नीचे झाँकने पर साँप आदि जानवरों के दर्शन आम बात थी।

एक दिन साम के समय मेरे गाँव का ही एक लड़का जो उसी शहर में किसी दूसरी कंपनी में काम करता था, मुझसे मिलने आया। मैंने उससे कहा कि आज तुम यहीं रूक जाओ और सुबह यहीं से ड्यूटी चले जाना। पर वह बोला कि मेरी ड्यूटी सुबह 7 बजे से होती है इसलिए मुझे 5 बजे जगना पड़ेगा और आप तो 7-8 बजे तक सोए रहते हैं तो कहीं मैं भी सोया रह गया तो मेरी ड्यूटी नहीं हो पाएगी। इस पर मैंने कहा कि कोई बात नहीं। एक काम करते हैं, चार बजे सुबह का एलार्म लगा देते हैं और तूँ जल्दी से जगकर अपने लिए टिफिन भी बना लेना पर हाँ एक काम करना मुझे मत जगाना। इसके बाद वह रहने को तैयार हो गया।

रात को खा-पीकर लगभग 11.30 तक हम लोग सो गए। हम दोनों हाल में ही सोए थे। मैं खाट पर सोया था और वह लड़का लगभग मेरे से 2 मीटर की दूरी पर चट्टाई बिछाकर नीचे ही सोया था। एक बात और रात को सोते समय भी मैं हाल में जीरो वाट का बल्ल जलाकर रखता था।

अचानक लगभग रात के दो बजे मेरी नींद खुली। यहाँ मैं आप लोगों को बता दूँ कि वास्तव में मेरी नींद खुल गयी थी पर मैं लेटे-लेटे ही मेरी नजर किचन के दरवाजे की ओर चली गई, मैं क्या देखता हूँ कि एक व्यक्ति किचन का दरवाजा खोलकर अंदर गया और मैं कुछ बोलूँ उससे पहले ही फिर से किचन का दरवाजा धीरे-धीरे बंद हो गया। मुझे इसमें कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि मुझे पता था कि गाँववाला लड़का ड्यूटी के लिए लेट न हो इस चक्कर में जल्दी जग गया होगा। बिना गाँववाले बच्चे की ओर देखे ही ये सब बातें मेरे दिमाग में उठ रही थीं। पर अरे यह क्या फिर से अचानक किचन का दरवाजा खुला और उसमें से एक आदमी निकलकर बाथरूम में घुसा और फिर से बाथरूम का दरवाजा बंद हो गया। अब तो मुझे थोड़ा गुस्सा भी आया और चूँकि वह गाँव का लड़का रिश्ते में मेरा लड़का लगता है इसलिए मैंने घड़ी देखी और उसके बिस्तर की ओर देखकर गाली देते हुए बोला कि बेटे अभी तो 3 भी नहीं बजा है और तूँ जगकर खटर-पटर शुरू कर दिया। अरे यह क्या इतना कहते ही अचानक मेरे दिमाग में यह बात आई कि मैं इसे क्यों बोल रहा हूँ यह तो सोया है।

अब तो मैं फटाक से खाट से उठा और दौड़कर उस बच्चे को जगाया, वह आँख मलते हुए उठा पर मैं उसको कुछ बताए बिना सिर्फ इतना ही पूछा कि क्या तूँ 2-3 मिनट पहले जगा था तो वह बोला नहीं तो और वह फिर से सो गया। अब मेरे समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था, मैंने हाल में लगे ट्यूब को भी जला दिया था अब पूरे हाल में पूरा प्रकाश था और मेरी नजरें अब कभी बाथरूम के दरवाजे पर तो कभी किचन के दरवाजे पर थीं पर किचन और बाथरूम के दरवाजे अब पूरी तरह से बंद थे अब मैं हिम्मत करके उठा और धीरे से जाकर बाथरूम का दरवाजा खोला। बाथरूम छोटा था और उसमें कोई नहीं दिखा इसके बाद मैं किचन का दरवाजा खोला और उसमें भी लगे बल्ब को जला दिया पर वहाँ भी कोई नहीं था अब मैं क्या करूँ। नींद भी एकदम से उड़ चुकी थी।

इस घटना का जिक्र मैंने किसी से नहीं किया। मुझे लगा यह मेरा वहम था और अगर किसी को बताऊँगा तो कोई मेरे रूम में भी शायद आने में डरने लगे। 

इस घटना को बीते लगभग 1 महीने हो गए थे और रात को फिर कभी मुझे ऐसा अनुभव नहीं हुआ। एक दिन मेरे गाँव के दो लोग हमारे पास आए। उनमें से एक को विदेश जाना था और दूसरा उनको छोड़ने आया था। वे लोग रात को मेरे यहाँ ही रूके थे और उस रात मैं अपने एक रिस्तेदार से मिलने चला गया था और रात को वापस नहीं आया।

सुबह-सुबह जब मैं अपने रूम पर पहुँचा तो वे दोनों लोग तैयार होकर बैठे थे और मेरा ही इंतजार कर रहे थे। ऐसा लग रहा था कि वे बहुत ही डरे हुए और उदास हों। मेरे आते ही वे लोग बोल पड़े कि अब हम लोग जा रहें हैं। मैंने उन लोगों से पूछा कि फ्लाइट तो कल है तो आज की रात आप लोग कहाँ ठहरेंगे। उनमें से एक ने बोला रोड पर सो लेंगे पर इस कमरे में नहीं। अरे अब अचानक मुझे 1 महीना पहले घटित घटना याद आ गई। मैंने सोचा तो क्या इन लोगों ने भी इस फ्लैट में किसी अजनबी (आत्मा) को देखा?


मैंने उन लोगों से पूछा कि आखिर बात क्या हुई तो उनमें से एक ने कहा कि रात को कोई व्यक्ति आकर मुझे जगाया और बोला कि कंपनी में चलते हैं। मेरा पर्स वहीं छूट गया है। फिर मैं थोड़ा डर गया और इसको भी जगा दिया। इसने भी उस व्यक्ति को देखा वह देखने में एकदम सीधा-साधा लग रहा था और शालीन भी। हम लोग एकदम डर गए थे क्योंकि हमें वह व्यक्ति इसके बाद किचन में जाता हुआ दिखाई दिया था और उसके बाद फिर कभी किचन से बाहर नहीं निकला और हमलोगों का डर के मारे बुरा हाल था। हमलोग रातभर बैठकर हनुमान का नाम जपते रहे और उस किचन के दरवाजे की ओर टकटकी लगाकर देखते रहे पर सुबह हो गई है और वह आदमी अभी तक किचन से बाहर नहीं निकला है। 

अब तो मैं भी थोड़ा डर गया और उन दोनों को साथ लेकर तेजी से किचन का दरवाजा खोला पर किचन में तो कोई नहीं था। हाँ पर किचन में गौर से छानबीन करने के बाद हमने पाया कि कुछ तो गड़बड़ है। जी हाँ.... दरअसल फ्रिज खोलने के बाद हमने देखा कि फ्रीज में लगभग जो 1 किलो टमाटर रखे हुए थे वे गायब थे और टमाटर के कुछ बीज, रस आदि वहीं नीचे गिरे हुए थे और इसके साथ ही किचन में एक अजीब गंध फैली हुई थी।

खैर पता नहीं यह हम लोगों को वहम था या वास्तव में कोई आत्मा हमारे रूम में आई थी। मैंने इससे छुटकारा पाने के लिए उस फ्लैट को ही चेंज कर दिया और दूसरे बिल्डिंग में आकर रहने लगे।